ज्ञान-विज्ञान

डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की भूमिका राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 नीति, रीति एवं संदर्भ सराहना बच्चे के भीतर सीखने की संभावनाओं को स्थान दिलाती है- बी. शंकरानंद

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जा रहे शिक्षक पर्व के अंतर्गत डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के समाजविज्ञान शिक्षण अधिगम केंद्र एवं संभागीय संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण संभाग सागर के संयुक्त तत्वाधान में शैक्षिक नेतृत्व के लिए “विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की भूमिका राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नीति, रीति एवं संदर्भ” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री बी शंकरानन्द, प्रोफेसर अर्चना पाण्डेय, संयुक्त निर्देशक डॉक्टर मनीष वर्मा, आशुतोष गोस्वामी, कुलसचिव श्री संतोष सोहगौरा,, समाज विज्ञान शिक्षण अधिगम केंद्र के समन्वयक डॉक्टर संजय शर्मा, , सागर संभाग के अंतर्गत आने वाले विभिन्न जिलों के लगभग 350 स्कूली शिक्षक, प्राचार्य, शैक्षिक नेतृत्वकर्ता, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने शिरकत की ।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉक्टर सर हरिसिंह गौर जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं विश्वविद्यालय की एक छात्रा द्वारा सरस्वती वंदना के सास्वरगायन के साथ हुआ । जिसकी प्रारंभिक कड़ी में प्रोफेसर अर्चना पाण्डेय ने अतिथियों का परिचय दिया एवं डॉ. संजय पाठक ने मंच संचालन किया। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री बी शंकरानन्द अपने व्याख्यान देते हुए कहा कि प्रशंसा कभी भी वास्तविकता से नही जुड़ी होती. यह अभिमान को जन्म देती है लेकिन सराहना हमेशा वास्तविकता से सरोकार रखती है । इसीलिए एक शिक्षक के नाते हमें प्रशंसा नहीं बल्कि सराहना करनी चाहिए क्योंकि यह बच्चे के अंदर सीखने की संभावनाओं को स्थान देती है ।

ज्ञान का परिमार्जन एवं संवर्धन शिक्षक का दायित्व- प्रो. नीलिमा गुप्ता

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों के समग्र विकास का आशय उनमें हर तरह के गुण, हर तरह के कौशल, हर तरह के कैरेक्टर विकसित करने से है और शिक्षक इसे विकसित कर पाने के लिए सक्षम भी है। लेकिन इस व्यापक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शिक्षकों को जीवन पर्यंत अधिगमकर्ता बनने की आवश्यकता है । शिक्षकों को अपने ज्ञान को लगातार परिमार्जित एवं संवर्धित करते रहने के प्रयास करना चाहिए । क्योंकि शिक्षक समाज के लिए एक रोल मॉडल हैं जब वे अपनी कक्षाओं में जाते है तो विद्यार्थी उनकी सभी क्रियाओं को आलोकित करते हैं । प्रो गुप्ता ने आगे बताया कि शिक्षकों को अपने प्रति विद्यार्थियों के मन में आदर भाव विकसित करने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे तमाम सवालों को प्रोत्साहित करना होगा, अपनी कक्षाओं को अंतर्क्रियात्मक बनाना होगा। इसी क्रम में शिक्षक तरुण गोहा नियोगी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में शिक्षकों की भूमिका विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए मध्यप्रदेश द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु हाल ही में किए गए दो महत्वपूर्ण प्रयासों ‘स्टेट प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स’ SPST एवं सीएम राइज शिक्षक व्यवसायिक उन्नयन कार्यक्रम की सराहना की । सतवा ग्राम में स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक निर्मल कुमार जैन एवं मोहन सिंह ठाकुर ने अपने विद्यालय के हवाले से शिक्षा व्यवस्था के समक्ष मौजूद वास्तविक या व्यवहारिक समस्याओं से अवगत कराते हुए अपने निजी प्रयासों से स्कूल की बेहतरी के लिए किए गए तमाम उल्लेखनीय प्रयासों की एक बानगी भी प्रस्तुत की । उनकी इस सराहनीय पहलकदमी के लिए उन्हें संयुक्त संचालक द्वारा सम्मानित भी किया गया । कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने आभार ज्ञापित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई पहलुओं की चर्चा भी की और इस आयोजन को महत्त्वपूर्ण बताया. उन्होंने इसमें आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित करते हुए समन्वित प्रयासों की आवाश्यकता को भी बताया. कार्यशाला के द्वितीय सत्र में सभी प्रतिभागियों को सीसीएलई गतिविधियों का प्रभावी संचालन, विद्यालय स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा व करियर काउंसलिंग के प्रभावी संचालन, विद्यालय की रोजमर्रा गतिविधि, प्रार्थना सभा के प्रभावी संचालन एवं स्कूल में शारीरिक शिक्षा व खेलकूद संबंधी गतिविधियों के प्रभावपूर्ण संचालन पर व्यापक बातचीत करने के उद्देश्य से चार समूहों में बांटा गया ।तत्पश्चातइन सभी समूहों के समन्वयकों द्वारा अपने अपने समूहों के सदस्यों के साथ हुए विचार विमर्श का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया. एवंसीसीएलई से सम्बन्धित एक डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई । कार्यक्रम के समापन सत्र में समाज विज्ञान शिक्षण अधिगम केंद्र के समन्वयक और इस पूरे कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. संजय शर्मा द्वारा औपचारिक आभार ज्ञापन किया |

इस सिलसिले में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की निर्माणाधीन प्रक्रिया के समय मौजूद वास्तविक शिक्षायी स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि जब नीति बन रही थी उस समय दो करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर थे । तब हमारे सामने चिंता यह थी कि और बच्चे बाहर न जाएं | इसके लिए सीसीएलई आया । इसी क्रम में वे आगे बताते हैं कि स्कूल में आयोजित खेल गतिविधियों को स्थानीय खेलों के साथ जोड़ा जाए । औरइस कार्यशाला का मकसद भी यही था कि इस बात पर विचार किया जाए कि क्या खेल शिक्षणशास्त्रीय टूल बन सकता है उसे विषयों के शिक्षण के साथ कैसे समेकित शिक्षा जाए। शैक्षिक नेतृत्वकर्ता की सबसे बड़ी विशेषता उसका जीवनपर्यंत विद्यार्थी होना या अधिगमककर्ताहोना है | इसकेपश्चातराष्ट्रगान के सामूहिक सास्वर गायन के साथ कार्यशाला का समापन हुआ |

 

संवाददाता सागर मध्यप्रदेश 

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