Categories: Breaking News

मोदी जी बेमिसाल प्रधानमंत्री

देश की संसद में जिस मुद्दे पर अविराम हंगामा हुआ,उस पर एक शब्द न बोलकर राष्ट्रपति के अभिभाषण का जबाव देकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे बेमिसाल हैं। मोदी जी का भाषण सुनकर मैं तो उनका मुरीद हो गया हूं,आपकी आप जानें।मोदी जी में विपक्षी प्रहार झेलने की अभूतपूर्व क्षमता है।वे सवालों का जबाव न देने के लिए भी पूरी तरह कटिबद्ध हैं।विपक्ष और पूरा देश मोदी जी से अपने सवालों का उत्तर पाने में आजतक कामयाब नही हुआ। प्रधानमंत्री के रूप में कांग्रेस को गरियाने की अद्भुत क्षमता है हमारे प्रधानमंत्री जी में।जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि संसद की कार्रवाई चाहे जितनी उबाऊ या हंगामेदार हो में देखता -सुनता अवश्य हूं। मैंने माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिभाषण पर अभिभाषण भी दत्त चित होकर सुना। मुझे हैरानी नहीं हुई कि उन्होंने हमेशा की तरह विपक्ष के प्रश्नों का बिंदुवार उत्तर न देकर वो सब कहा जो अपेक्षित था।माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सिर से लगभग क्षीण हो चुकी कांग्रेस का भूत उतरने का नाम ही नहीं ले रहा। वे कांग्रेस से ज्यादा पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से आतंकित नजर आए। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस में नेहरू, इंदिरा गांधी मुद्दा थे ही नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री जी ने दोनों को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हुए कोसा।बहरहाल विपक्ष ‘चीनी- हिन्दी भाई -भाई’की तर्ज पर ‘ मोदी -अदाणी भाई -भाई’ के नारे लगा लगाकर थक गया किन्तु मोदी जी ने अपने कथित भाई के बारे में एक शब्द नहीं कहा। जाहिर है कि उनके पास बोलने के लिए कुछ होगा ही नहीं, अन्यथा क्या वे चुप रहते ?प्रधानमंत्री जी ने कांग्रेस सरकारों द्वारा संविधान की धारा 356 के दुरुपयोग का आरोप लगाया, लेकिन ये नहीं बताया कि उनकी पार्टी ने कितनी गैर भाजपा राज्य सरकारों को बिना धारा 356 का इस्तेमाल किए गिरा दिया। लेकिन अच्छी बात ये है कि उन्हें कांग्रेस की सरकारों के बारे में कांग्रेसियों से ज्यादा पता है।केंद्र,राज्य संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री जी का तर्क विपक्ष के गले अवश्य उतरना चाहिए। प्रधानमंत्री जी लहू-लुहान गुजरात के पंद्रह साल मुख्यमंत्री ऐसे ही थोड़े ही रहे। उनके 9 साल के कार्यकाल में केंद्र से राज्यों का कितना सौहार्द रहा, दुनिया जानती है।पूर्व और दक्षिण के राज्यों से केंद्र के रिश्ते आखिर कितने मजबूत हुए? माननीय हमेशा राज्य सरकारों को डबल इंजन देने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। ये अलग बात है कि बिहार ने दूसरा इंजन निकाल फेंका। हिमाचल ने अपना इंजन बदल लिया। बंगाल ने दूसरा इंजन बैरंग लौटा दिया।और जहां -जहां डबल इंजन लगाए गए वहां भी स्थिति सोचनीय है।मैंने संसद में अधिकांश प्रधानमंत्रियों को बोलते सुना और देखा है। मोदी जी उन सबमें अलग हैं। वे नेहरू और इंदिरा गांधी की तरह तो बोलते ही नहीं, वे अटल बिहारी वाजपेई की तरह भी नहीं बोलते। वे अपने ढंग से बोलते हैं। वे क्या बोलते हैं, ये कोई दूसरा नहीं जान और समझ सकता । प्रधानमंत्री का संसद में और संसद के बाहर का भाषण हमेशा से अलग होता आया है। लेकिन मोदी जी जो संसद के बाहर बोलते हैं वहीं संसद के भीतर बोलते हैं। वे हर समय चुनावी भाषण देने के लिए तत्पर रहते हैं।वे हमेशा ‘मन की बात ‘ करते हैं।
वीडियो समाचार के लिए कृपया लिंक पर क्लिक करें –
                                 मोदी जी के उत्तर देने वाला भाषण सचमुच देश को , विपक्ष को और दुनिया को निरुत्तर कर देने लायक होता है।इस बार भी था। उनके उत्तर में सार-सार को गृहण करना और थोथा अलग करना आसान काम नहीं है। क्योंकि भाषण में थोथे और साथ के अनुपात का पता ही नहीं चल पाता।इस बार भी उन्होंने अपने भाषण में जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र बहाली पर कुछ नहीं कहा । लद्दाख के बारे में कुछ नहीं कहा। उत्तर-पूर्व को निराश किया। मंहगाई पर कुछ नहीं बोले। अदाणी पर तो वे न बोलने की शपथ लेकर ही संसद में आए थे।मुझे अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री जी ने दोनों सदनों में आमसभाओं जैसी मुद्रा और भाषण शैली अपनाई।चीख चीखकर कहा कि-‘ देश देख रहा है कि एक अकेला सब पर भारी है। सचमुच वे देश पर भारी हैं। ‘ उनके जैसा भारी भरकम प्रधानमंत्री अभी तक नहीं हुआ,और शायद हो भी नहीं। मोदी जी का भाषण अटल जी के भाषण की तरह लच्छेदार नहीं होता।वे हमेशा तीखा बोलते हैं।’ पर उपदेश कुशल बहुतेरे ‘ उनका ध्येय है। वे गैरभाजपाई राज्य सरकारों को कर्ज का घी न पीने की हिदायत। देते हैं, किंतु डबल इंजन की आकंठ कर्ज में डूबी अपनी राज्य सरकारों से कुछ नहीं कहते।संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री का वक्तव्य स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने लायक है। मेरे पास सोने की स्याही होती तो मैं अवश्य लिखता, लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। प्रधानमंत्री जी के पास असंख्य उपलब्धियां हैं सिवाय जनता और जनप्रतिनिधियों के सवालों के जबाबों के। देश की मीडिया को तो माननीय से सवाल करने का सौभाग्य मिला ही नहीं, अन्यथा हमने तो अपने समय में अनेक प्रधानमंत्रियों से रास्ता चलते सवाल भी किए हैं और ज़बाब भी मिले हैं।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी  जी ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  । 

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

2 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

4 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

5 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

7 days ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago

लोकसभा में पहली बार क्या बोलीं प्रियंका गांधी ?

आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लोकसभा में अपना पहला उदबोधन दिया लगभग आधा घंटे…

1 week ago