कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को मिल रहे महत्व का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। भाजपा के भीतर अब बगावत के स्वर मुखर होने लगे हैं। वन एवं पर्यावरण विभाग रामनिवास रावत को दिए जाने से नाराज मंत्री नागर सिंह चौहान ने मीडिया के सामने ही अपनी भड़ास निकाल दी। हालांकि पार्टी नेताओं से बात होने के बाद नागर को दिल्ली बुलाया गया है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता रामनिवास रावत को भाजपा में शामिल कराया गया था तब जो भी शर्तें तय हुई होगी उसी के अनुसार रामनिवास रावत को पहले मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और लगभग 13 दिन बाद उन्हें वन एवं पर्यावरण विभाग दिया गया जो कि मंत्री नागर सिंह चौहान के पास था। विभाग छिनने से मंत्री नागर सिंह नाराज हो गए और सोमवार को उन्होंने मीडिया से कहा कि में इस्तीफा दे दूंगा क्योंकि मंत्री रहते हुए आदिवासी हितों की रक्षा नहीं कर पा रहा हूं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। उसके बाद भाजपा नेताओं ने नागर से संपर्क किया और इसके बाद नगर को दिल्ली बुलाया गया है। सोमवार रात को ही वे दिल्ली जा रहे हैं। मंगलवार को उनकी भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से चर्चा होगी उसके बाद ही पता चलेगा कि नाराज नागर की नाराजगी कितनी कम हुई। उन्होंने जिस तरह से कहा था कि वह स्वयं भी इस्तीफा दे देंगे और खबरें तो यहां तक चली कि वे अपनी सांसद पत्नी से भी इस्तीफा दिला देंगे।
बहरहाल, मंत्री नगर सिंह चौहान का कहना है कि अब दिल्ली में चर्चा के बाद ही कुछ कहूंगा। चौहान ने इस मामले में राष्ट्रीय अध्यक्ष या किसी और से चर्चा के सवाल पर कहा कि पार्टी से मैसेज आया था कि दिल्ली बुलाया गया है इसलिए वहां चर्चा के बाद ही अब कोई बात कहेंगे। वन एवं पर्यावरण विभाग छिनने के बाद अब नगर के पास अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ही रह गया है। इसी बात से नाराज नागर ने मीडिया से कहा था कि अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, बड़वानी, धार और खरगोन के आदिवासी भाइयों ने मुझ पर बहुत भरोसा जताया है कि मैं उनके लिए विकास करूंगा लेकिन सरकार मेरे द्वारा मेरे मुख पर ले लेने के बाद में विकास नहीं कर पाऊंगा। उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाऊंगा। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे बिना मांगे मुझे तीन-तीन विभाग दिए गए थे जबकि मैंने आदिवासी होने के नाते आदिवासी विभाग मांगा था। इसके बावजूद कांग्रेस से आए कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें पद दिए जा रहे हैं। जो कहीं ना कहीं गलत है। अलीराजपुर जिला कांग्रेस का अवैध गढ़ रहा है। वहां हमने दिन-रात मेहनत करके काम किया है मेरे विभाग ले लेने के बाद अब मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं रहता। कुल मिलाकर सोमवार को दिनभर अगर-मगर करते नागर कितने दिल्ली बुला लिए गए हैं लेकिन भाजपा में और भी ऐसे नेता नाराज है जो खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं लेकिन से आए नेताओं को मिल रहे महत्व से नाराज हैं। कांग्रेस इसकी चिंता अब पार्टी और संघ को सताने लगी है क्योंकि जिन नेताओं ने पार्टी को शून्य से शिखर पर पहुंचने के लिए दिन-रात मेहनत की है अब उनकी उपेक्षा आसान नहीं होगी। कहीं ना कहीं पार्टी को रास्ता निकालना पड़ेगा।
@ देवदत्त दुबे
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