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रंग प्रयोग नाट्य समारोह सागर नाटक पुनश्च कृष्ण का हुआ मंचन

मप्र शासन संस्कृति विभाग और मप्र नाट्य विद्यालय भोपाल एवं जिला प्रशासन सागर द्वारा 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन शहर के पद्माकर सभागार मोतीनगर में किया जा रहा है। समारोह के चौथे दिन नाटक पुनश्च कृष्ण का मंचन हुआ। इसके लेखक डॉ रामा यादव एवं निर्देशक मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल के निदेशक श्री टीकम जोशी है । डॉ रमा यादव दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में एसोसिएट प्रोफेसर तथा एक रंगकर्मी हैं। इन्होंने सन 2001 में दिल्ली के श्री राम सेंटर से रंगकर्म में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया और उसी समय से देश के बड़े रंगकर्मी भानु भारती की थियेटर रेपेट्री से जुड़ गयी। रमा शून्य नाम का थियेटर ग्रुप चलाती हैं। 2013-2015 के मध्य रमा हंगरी में इंडियन कल्चर काउंसिल की ओर से हिन्दी चेयर पर रही। रमा 1997 से रेडियो पर कार्यक्रम प्रस्तुत करती रही हैं और रेडियो के लिये अनेक नाटक लिखे हैं। जिनमें दानवीर शिवि, एकलव्य और चाय की टूटी प्यालियों का कई बार रेडियो से प्रसारण हुआ है। रमा के शोध का प्रमुख क्षेत्र भारतीय और पश्चिमी नाट्य शास्त्र है। उनके अनेक लेख समय समय पर कला वसुधा, नटरंग, रंग प्रसंग, लमही में छपते रहें हैं। इस शहर जिसे कहते हैं दिल्ली में एक दरवेश रहता था मिर्ज़ा ग़ालिब, कस्तूरबा के गांधी, मीराबाई और इज़ाडोरा उनके द्वारा लिखित नाटक हैं। मीराबाई का प्रदर्शन पश्चिमी यूरोप के अनेक मंचो पर हुआ है।
साथ ही जानकी की कहानी नामक एक लघु पद्य नाटक तथा गांधी बाबा का चश्मा नाम से भी उन्होंने एक नाटक लिखा है। दोनों ही नाटकों के प्रदर्शन राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में हुए हैं। रमा समय समय पर कविताएं और कहानियाँ भी लिखती रही हैं।पुनश्च – कृष्ण नाटक के माध्यम से तथा श्रीकृष्ण की कथाओं के माध्यम से अनगढ़ स्वरूप की विवेचना की जाती हैं। नाटक का आरंभ वर्तमान वृंदावन में कृष्ण की सखियों के साथ बातचीत के साथ शुरू होता हैं। जहाँ सखियाँ कृष्ण से प्रश्न करती हैं कि उनका दर्शन क्या हैं? कृष्ण ने जो भगवत गीता के माध्यम से ज्ञान दिया हैं उस ज्ञान का विस्तृत विवरण नाटक में दिखाया गया हैं। माता यशोदा द्वापर से कलयुग तक कृष्ण का इंतजार कर रही हैं। कृष्ण चाहते तो महाभारत युद्ध रुक जाता। कर्ण के अपने प्रश्न हैं। मीरा के लिये कृष्ण का स्वरूप कुछ ओर ही हैं, तो बलराम के भी अपने प्रश्न हैं जो हमेशा कृष्ण के साथ रहें। इस नाटक के माध्यम से कृष्ण के 16 कलाओं को दिखाने का प्रयत्न किया हैं। नाटक के माध्यम से उन सभी अनछुए प्रश्नों का जवाब श्री कृष्ण दे रहे हैं।

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