राजनीतिनामा

बगावत ने बिगाड़े समीकरण

मध्यप्रदेश में इस बार प्रत्याशी चयन और चयन के मापदंड के साथ साथ जारी होने वाली सूची पहले ही सुर्खिया बटोर चुकी है और अब दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस को अब बगावत का सामना करना पड़ रहा है। जहां प्रत्याशी घोषित हो गए हैं उनमें से अधिकांश सीटों पर घोषित ै प्रत्याशियों का जबरदस्त विरोध हो रहा है। जिससे राजनीतिक दलों की परेशानियां बढ़ गई है। एक तरफ जहां उन्हें शेष बची सीटों पर प्रत्याशी तय करना है वहीं दूसरी ओर जहां विरोध हो रहा है अब तक जारी सूची से राजनीति के समीकरण बिगड़े हुए नजर आ रहे है। भाजपा ने अब तक 136 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं तो कांग्रेस ने 144 सीटों पर और अधिकांश सीटों पर घोषित प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है वहीं दो दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां घोषित प्रत्याशियों का जमकर विरोध हो रहा है। यहां तक खबर है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदलने की भी चर्चा हो रही है। भितरघात के भय से दोनों ही दल अब शेष प्रत्याशियों की घोषणा करने से पहले टिकट कटने वाले दावेदारों से चर्चा कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस में लगातार बैठकों का दौरचल रहा है। सर्वे रिपोर्ट में जिन दावेदारों के नाम सबसे ऊपर थे उनका भी विरोध हो रहा है।

कहीं जातीय समीकरण और कहीं क्षेत्रीय समीकरण आड़े आ रहे हैं। अब जबकि मतदान होने को एक महीने से भी कम समय बचा है तब अधिकांश सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा न होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दोनो ही दलों को अभी भी दिग्गजों के मुकाबले में ऐसे प्रत्याशियों की तलाश है जो उन्हें चुनौती दे सके। दावेदार भोपाल और दिल्ली के चक्कर काट कर थक चुके हैं जबकि उनके समर्थक और कार्यकर्ताओं ने अब टिकट की उम्मीद छोड़ दी है। सीटों पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही नेताओं की आमसभाओं के कार्यक्रम बनेंगे और एक तस्वीर साफ हो सकेगी कि आखिर कौन सा दल प्रत्याशी चयन करने में बाजी मार ले गया। अभी तो जिस तरह से दोनों दलों में विरोध हो रहा है और ओर दलबदल का दौर जारी है उससे दोनो ही दल असमंसज में है यह जरूर है कि सबसे ज्यादा फायदे में वे दल रहे जिन्हें प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे और घर बैठे अच्छे मजबूत प्रत्याशी मिल गए। कुल मिलाकर एक.दो दिन में भाजपा और कांग्रेस के लगभग सभी प्रत्याशी मैदान में आ जाएंगे लेकिन तब तक दोनों दलों में बगावत को थामना सबसे बड़ी चुनौती है। इस बार किसी को धैर्य नहीं है किसी न किसी दल की सवारी करके विधानसभा पहुंचने की जुगत हर वह दावेदार लग रहा है जिसकी क्षेत्र में थोड़ी बहुत पकड़ है ।े इसी कारण राजनीतिक समीक्षक अनुमान लगा रहे हैं कि इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के दावेदार भी अच्छी खासी संख्या में जीत कर आयेंगे। बगावत करने वाले जिस तरह से समीकरण बिगाड़ रहे हैं उससे कह पाना मुश्किल है कि आखिर इसका फायदा किस विधानसभा सीट पर किसको मिलेगा ।

देवदत्त दुबे 

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

 

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

9 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

4 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago