मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों की आदर्श आचार संहिता लगते ही प्रत्येक विधानसभा से नये राजनैतिक समीकरण भी सामने आने लग गये है सागर जिले में भाजपा अब तक अपनी आठ में से सात विधानसभा क्षेत्रो मेें प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और अब तक सीधे मुकाबले में आने वाले विधानसभा क्षेत्रो में से भाजपा के बड़े नेताओ ने बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिये है सागर विधानसभा से लंबे समय से भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे मुकेश जैन ढाना अब तक खुलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे है वे इससे पहले भी पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में खुली बगावत कर चुके है लेकिन पार्टी की मान मनौव्वल के बाद अपने लक्ष्य को आगे बढा देते है इस बार यह रिर्काड टूटेगा या नहीं यह समय बतायेगा लेकिन उनके अतिरिक्त सागर में और कोई प्रभावी चेहरा फिलहाल निर्दलीय चुनौती नहीं है । तो बंडा विधानसभा से लंबे समय से चुनावी तैयारियो में लगे पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव ने भी अपने सर्मथको के साथ बैठक कर चुनावी मैदान में उतरने के संकेत दिये उन्होने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से संपर्क में है और आने वाले दिनो में वह निर्णय लेंगे।अपने बेटे को टिकिट न दिये जाने से नाराज पूर्व सांसद यादव ने तो भाजपा पार्टी और हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हाईकमान को अंधा,बहरा और तानाशाह तक बता दिया । नरयावली में नारायण कबीरपंथी कांग्रेस के संपर्क में है और पिछले दिनो कमलनाथ के साथ उनकी एक वायरल फोटो ने नरयावली विधानसभा में हलचल तेज कर दी है।
इन सबसे इतर चौकाने वाला घटनाक्रम खुरई विधानसभा में हुआ जहां कांग्रेस के पूर्व विधायक और पिछले साल कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके अरूणोदय चौबे ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर फिर कांग्रेस की सदस्यता ली गौरतलब है कि अरूणोदय चौबे पिछले एक साल से राजनैतिक अज्ञातवास में थे और कानूनी मामलो में उलझे चौबे की राजनीतिक सन्यास की चर्चाये क्षेत्र में होने लगी थी लेकिन अब खुरई विधानसभा में फिर राजनैतिक गहमागहमी का माहौल है और एसा माना जा रहा है कि अब अरूणोदय चौबे ही खुरई से कांग्रेस के प्रत्याषी होगे गौरतलब है कि भाजपा केबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह को पहले ही खुरई से प्रत्याषी घोषित कर चुकी है और यदि कांग्रेस चौबे को खुरई विधानसभा से मैदान में उतारती है तो यह दोनो पुराने प्रतिद्धदियो के बीच चौथा मुकाबला होगा जहां एक बार 2008 में चौबे ने जीत दर्ज की थी तो 2013 और 2018 में मंत्री भूपेंद्र सिंह खुरई से विजेता रहे थे । मध्यप्रदेष में टसल के इन विधानसभा चुनावों में आने वाले समय मंे कुछ और बड़े नाम निर्दलीय प्रत्याषी के रूप् में भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकते है।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
क्या अब दिल्ली मंे 10 साल राज करने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियो की…
कांग्रेस के दो और विधायक देंगे पार्टी को गच्चा - पार्टी की नजर में कांग्रेस…
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई है लेकिन इस हार के बाद…
पिछले 21 महीने से साम्प्रदायिकता की आग में धधक रहे मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन कुमार…
दिल्ली जीतने के लिए भाजपा नेतृत्व को हार्दिक बधाई। ब्धाई दे रहा हूँ क्योंकि ये…
भारत की विदेश नीति को ऊपर वाला भी नहीं पहचान सकता । अमेरिका भारतियों को…