मध्यप्रदेष की राजनीति में बीते दो माह से जो बदलाव की बयार चल रही है राजनीति में भी परिर्वतन पृकति के नियम की तरह होते है बस राजनेता इसे आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते या यूं कहे की राजनीति में 2-4 दषकों का सफर कब निकल जाता है इसका अंदाजा ही नहीं होता और जब आप सत्ता में हों तब तो बिल्कुल भी नहीं लेकिन कोई चाहे या न चाहे परिर्वतन तो होता ही है यही मध्यप्रदेष में हो रहा है भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यह तय कर लिया है कि मध्यप्रदेष में भाजपा की राजनीति को पुराने ढर्रे से उतारने का समय आ गया है । हां गुजरात की तरह डंके की चोट पर मध्यप्रदेष में न तो जीत का दावा किया जा सकता है और न हीं परिर्वतन की लहर पर सवार होकर रिर्काड सीटों से प्रदेष को जीतना संभव है सो सब कुछ झटके के साथ न होकर धीरे धीरे हो रहा है । भाजपा की दूसरी सूची ने दिग्गजो को इस बात का अहसास करा दिया है और इसमें कोई हैरानी नहीं होगी कि आने वाले समय में वे स्वयं अपने राजनैतिक सन्यास की घोषणा करते हुए नजर आयें बहरहाल राजनीति के लिये सुखद यह है कि सिर्फ सत्ताधारी भाजपा में ही नहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी नये चेहरो को मौका देने का मन बना चुकी है और पहले की तरह बड़े नेताओं की सिफारिष या कोटा सिस्टम से टिकिट लेने की परंपरा लगभग खत्म नजर आ रही है .
दोनो ही दल बीते साल भर से प्रत्येक विधानसभा में सर्वे करा रहे है और उसी को सर्वोसर्वा मानकर प्रत्याषी मैदान में उतार रहे है जो जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं और राजनीति की नई पीढी के लिये एक अवसर के समान है । सागर जिले की नरयावली विधानसभा में पिछले तीन विधानसभा चुनावों से जो तय मुकाबला चल रहा है उस पर भी संषय के बादल मंडरा रहे है भाजपा के तीन बार के विधायक प्रदीप लारिया और कांग्रेस के तीन बार के प्रतिद्धंदी सुरेंद्र चौधरी ही नरयावली में भाजपा- कांग्रेस के चेहरे रहे है लेकिन इस बार इस मुकाबले में बदलाव होना तय माना जा रहा है चाहे वह भाजपा की तरफ से हो या कांग्रेस की दोनो ही दल पहले आप पहले आप की तर्ज पर इन्तजार में है। स्थानीय विधायक प्रदीप लारिया की क्षेत्रीय पकड़ जरूर मजबूत है ग्रामीण अंचल में अन्य दावेदारों के चेहरे मतदाताओं के लिए नए है लेकिन यदि भाजपा ने बदलाव का मन बनाया है तो वे भी रेड जोन में है और विधानसभा से सागर नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार जहां भाजपा की नई पीढी के रूप में नरयावली से प्रत्याषी हो सकते है तो बड़े नेताओं को छोटे चुनाव लड़ाने की रणनीति में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक भी अपने गृहजिले सागर से एक नई पारी की सुरूआत कर सकते है दूसरी ओर कांग्रेस में इस बार सुरेंद्र चौधरी की टक्कर में नये चेहरे विकल्प के रूप् में उभरकर सामने आये है जिनका जमीनी आधार सुरेंद्र चौधरी के ट्रेक रिर्काड पर भारी पड़ सकता है इनमें से भाजपा से कांग्रेस में आये विधायक लारिया के चचेरे भाई हेमंत लारिया का नाम सबसे आगे है तो मध्यप्रदेष विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की मंषा के अनुरूप यदि 33 फीसदी टिकिट महिलाओं को दिये जाने संभावना से नरयावली में लंबे समय से विधानसभा का टिकिट मांग रही जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक खटीक की उम्मीद पूरी हो सकती है ।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
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