चार दिवसीय विधानसभा की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है जिसमें विधायकों की शपथ और स्पीकर का निर्वाचन संपन्न हो गया अब मंत्रिमंडल गठन के लिए फिर से मंथन शुरू हो गया शाम को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव दिल्ली पहुंच गए। दरअसल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत और दिग्गज नेताओं का विधायक बनना अब पार्टी के लिए चुनौती बनते जा रहा है लगातार बैठकों का दौर मेल मुलाकात होने के बाद भी अब तक संभावित मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है इसके साथ ही दिल्ली में दो दिवसीय भाजपा की बड़ी बैठक होने जा रही है जिसमें संगठन से जुड़े बढ़े निर्णय हो सकते हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विधानसभा की कार्रवाई स्थगित होते ही दिल्ली रवाना हो गए और इसके साथ ही एक बार फिर मंत्रिमंडल गठन को लेकरसुगबुगाहट का दौर शुरू हो गया प्रदेश में एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति हो गई है पार्टी के सामने क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने के साथ.साथ अनुभवी और युवाओं को मंत्रिमंडल में लेने का प्लान है लेकिन इसमें भी किसे छोड़ें किसे ले ले इस पर असमंजस है जबकि 3 दिसंबर के बाद से ही भोपाल से दिल्ली तक मंत्री बनने के लिए विधायकों की जोड़ तोड़ जारी है जिन नामो को पार्टी मानकर चल रही थी इन्हे मंत्रिमंडल में नहीं लेना है अब उन नामों पर भी विचार होने लगा है।
बहरहाल जिस तरह से लंबी रेस में कोई खिलाड़ी सेकंड के 100 वे हिस्से से रेस हार जाता है और अगला खिलाड़ी जीत जाता है कुछ ऐसा ही मंत्रिमंडल के गठन के पूर्व दावेदारों के बीच रास्सा कस्सी चल रही है उससे एन वक्त पर नाम जोड़ने और काटने का अंदेशा बना हुआ है इस तरह का मुख्यमंत्री पद और उपमुख्यमंत्री के पदों पर हो चुका है भाजपा प्रदेश कार्यालय के बाहर किसी के नगाड़े खड़े थे किसी के पटाखे तैयार थे तो किसी का नाम निकला ऐसा ही कहीं मंत्रिमंडल के गठन में ना हो जाए इसको लेकर हर कोई संशय की स्थिति में है और सब की जुबान पर अघोषित तालाबंदी है कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है कहीं ऐसा ना हो की बोलने से नंबर कट जाए। कुल मिलाकर जितनी बड़ी जीत उतनी बड़ी चुनौती आज भाजपा की यही हकीकत है पार्टी मंत्रिमंडल गठन के लिए लगातार मंथन कर रही है जिससे अनुभवी और युवा चेहरों का समावेश किया जा सके। संसद से विधायक बने नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं अब पहलाद पटेल राव उदय प्रताप सिंह राकेश सिंह रीति पाठक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका तय करने के लिए भी पार्टी मंथन कर रही है। जाहिर है जिस तरह से पार्टी फैसला ले रही है उसमें हर कोई उम्मीद में है और हर कोई संशय में भी है क्योंकि एक कोई फार्मूला नहीं है राज्यवार रणनीति बनाने वाले भाजपा के रणनीतिकार मध्य प्रदेश के लिए कौन सा फार्मूला लाते हैं अगले कुछ दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन लोकसभा चुनाव की दृष्टि से इतनी कसरत अवश्य होगी जिसमें निराशा की गुंजाइश कम रहे।
श्री देवदत्त दुबे जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
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