चार दिवसीय सत्र का आज समापन हो जाएगा लेकिन जिस तरह से प्रोटेम स्पीकर के समूची विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य गोपाल भार्गव ने शुरुआत की और और पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र तोमर का निर्विरोध निर्वाचन हुआ इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायको ने आदर और विश्वास व्यक्त किया है उससे आसनदी से अब विधायकों की अपेक्षाएं बढ़ी हुई लगती हैं। दरअसल इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा का सदन प्रतिभाओं का समृद्ध सदन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी और ऐसे सदन को संचालित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष एक धीर गंभीर अनुभवी एवं निष्पक्षता का आभा मंडल लिए हुये की जरूरत थी इसे संयोग ही कहा जाएगा कि इस बार प्रोटेम स्पीकर और पूर्णकालिक स्पीकर दोनों ही इन कसौटियों पर सर्वोच्चता लिए हुए मिले पहले प्रोटेम स्पीकर के रूप में लगातार नौ बार से विधानसभा चुनाव जीत रहे सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य गोपाल भार्गव ने सत्र की शुरुआत की उन्होंने दो दिन लगातार नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ कराई इस दौरान अधिकांश विधायकों ने शपथ के बाद आसंदी पर भार्गव के प्रति आदर व्यक्त किया सदन में लगभग तीन दर्जन ऐसे नवनिर्वाचित सदस्य हैं जिनके पहले कभी पिता या परिवार के सदस्य गोपाल भार्गव के साथ विधायक रह चुके हैं इस कारण भी आदर का भाव बना।
बुधवार को विधानसभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का विधानसभा अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचन हुआ जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने तोमर की जमकर तारीफ की सभी ने उन्हें सदन निष्पक्षता से चलने वाला अध्यक्ष बताया युवा मोर्चा के समय से उनके साथ ही रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैलाश विजयवर्गीय पहलाद पटेल और भूपेंद्र सिंह ने उनकी राजनीतिक यात्रा और उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला निवर्तमान प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव ने उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक दक्षता पर प्रकाश डाला पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीता शरण शर्मा और डॉक्टर गिरीश गौतम ने भी उनके निर्विरोध निर्वाचन को उनके व्यक्तित्व का परिणाम बताया वही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार और उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने भी नव निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर की तारीफ की एवं सदन संचालन के समय विपक्ष को संरक्षण देने की अपेक्षा की रामनिवास रावत और ओंमकार सिंह ने भी तोमर की तारीफ की। कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र तोमर के निर्विरोध निर्वाचन के बाद सदन में सत्ता पक्ष और विपक्षी के सदस्यों की जहां अपेक्षाएं बढ़ गई है वही भविष्य में सदन पर्याप्त अवधि तक चले इसको लेकर भी दोनों ओर से अपेक्षाएं की गई है यहां बताते चलें कि पिछले दो दशक में लगातार सदन चलने की अवधि कम हुई है कुछ अवसर ऐसे भी आए जब पक्षपात के आप भी लगे खासकर जब चौधरी राकेश सिंह और कल्पना पारुलकर को निलंबित किया गया था हालांकि बाद में बहाल हो गए थे।
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