भोपाल। प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है कहीं बाढ़ में फंसे हैं। लोग तो राजधानी भोपाल में लगभग 200 कालोनियों में पानी भर गया है। स्कूलों की फिर से छुट्टी कर दी गई है। बिजली गोल की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।
दरअसल, लगातार बारिश होने से प्रदेश के लगभग 30 जिलों में हालात बिगड़ गए हैं। प्रदेश की प्रमुख नदियां नर्मदा चंबल बेतवा क्षिप्रा सुनार सहित छोटी मोटी तमाम नदियां उफान पर है सड़कों पर पानी भरा है पुल पुलिया डूब गए हैं और शहरों में कालोनियां जलमग्न हो गई है। राजधानी भोपाल में बरसाने पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और 24 घंटे में ही राजधानी में सबसे ज्यादा 14 इंच बारिश हो चुकी है।
इस सीजन में 60 इंच के करीब बारिश हो चुकी है राजधानी के अलावा और भी 25 जिले हैं। जहां बरसात के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है कहीं – कहीं डूबने से ज्यादा बारिश हो चुकी है। कहीं टापू पर ग्रामीण फंसे हैं तो कहीं वाहन बह गए हैं। राजधानी भोपाल में पेड़ के नीचे खड़े युवक पर पेड़ गिर गया जिससे उसकी मौत हो गई और मोटरसाइकिल चकनाचूर हो गई भोपाल नागपुर नेशनल हाईवे पर आवागमन बंद हो गया है दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लगी है। नर्मदा नदी में 8 घंटे में 8 फीट पानी भर गया है। एक तरफ जहां बरसात और बाढ़ से बर्बादी हो रही है। वहीं दूसरी ओर बिजली गोल होने से लोगों की परेशानियां दुगनी हो गई हैं।
बहरहाल, जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है तब जनजीवन कितना अस्त व्यस्त हो जाता है इस समय प्रदेश में सब तरफ देखने को मिल रहा है। विकास के कितने भी दावे किए जाएं लेकिन जब कालोनियों में शहर के अंदर पहली मंजिल तक पानी भर जाए और सड़कों गलियों में नाव चलानी पड़े तब यह विकास बेईमानी साबित होने लगता है। कालोनियों की डिजाइन करते समय पानी की निकासी का ध्यान नहीं रखा जाता और नालों पर अतिक्रमण कर लिया जाता है। बरसात से पहले नालों की सफाई नहीं होती है जिसका खामियाजा आम जनता इस समय भुगत रही है।
लगातार हो रही बारिश से दूसरे दिन भी स्कूलों में छुट्टी दी गई है क्योंकि अभी 24 घंटे और वर्षा होने की चेतावनी दी गई है। राजधानी भोपाल में सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का व्यस्ततम कार्यक्रम था मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी शामिल होने थे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री 1 दिन पहले रविवार को ही भोपाल आ गए थे लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट में भी देर रात तक तेज पानी के कारण आवागमन करने वाली फ्लाइटों पर असर पड़ा और भोपाल आने वाली फ्लाइटों को डायवर्ट किया गया या कैंसिल किया गया।
कुल मिलाकर बरसात और बाढ़ से जिस तरह से प्रदेश में हालात बेकाबू हो गए हैं। उससे एक बार फिर विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। लोग शहरों की कालोनियों में घरों में सुरक्षित नहीं है। ऐसे में एक बार फिर सरकार को एक ऐसी कार योजना बनाना चाहिए जिससे इस तरह के हालात उत्पन्न ना हो कम से कम कालोनियों में पानी तो ना भरे।
देवदत्त दुबे, भोपाल, मध्यप्रदेश
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