भोपाल। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरीय निकाय के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चौंकाने वाली उपस्थिति दर्ज कराई है। सिंगरौली में महापौर और प्रदेश में लगभग 40 पार्षद दो दर्जन से ज्यादा जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य, सरपंच और पंच की संख्या भी सैकड़ों में बताई जा रही है। इतनी संख्या में प्रदेश में बसपा और सपा भी नहीं जीत पाई है जो बरसों से संघर्ष कर रही है। ‘आप’ पार्टी की आमद उन लोगों के लिए उम्मीद भरी लग रही है जो विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा या कांग्रेस से टिकट से वंचित रह जाते हैं।
दरअसल,. प्रदेश में अधिकांश समय मतदाताओं का ध्रुवीकरण भाजपा और कांग्रेस के पक्ष में होता आया है कभी कभार बसपा के और कभी सपा के विधायक जीते हैं लेकिन वे कभी दहाई से ऊपर नहीं जा सके और महापौर का प्रत्याशी कभी नहीं जीता पाए लेकिन आम आदमी पार्टी ने बहुत कम समय में सीमित साधनों के बीच बिना तामझाम के स्थानीय निकाय के चुनाव में जो प्रदर्शन किया है उससे सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है सिंगरौली में महापौर पद पर आप की रानी अग्रवाल की जीत शुरू से ही तय मानी जा रही थी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रदेश में एकमात्र सिंगरौली में ही सभा करने के लिए आए थे और वहीं पार्टी को जीत मिली वैसे तो पार्टी ने भोपाल और जबलपुर नगर निगम को छोड़कर बाकी के 14 नगर निगमों पर महापौर के लिए अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और सभी जगह उम्मीदवारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सिंगरौली के बाद पार्टी का ग्वालियर में भी जबरदस्त प्रदर्शन रहा। जहां 9300 से ज्यादा वोट आप उम्मीदवार को मिले। पूरे प्रदेश में पार्टी सवा लाख से ज्यादा वोट पार्षदों के माध्यम से ही पा गई। ‘आप’ पार्टी के नेता अक्षय हुंका का कहना है कि नगरीय निकाय और पंचायती राज के चुनाव में हम प्रदेश में तीसरे नंबर पर वोट शेयर करें हैं। पार्टी अब अपना और विस्तार करने जा रही है। जल्द ही संभागीय सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे और विधानसभा चुनाव की तैयारी मजबूती से की जाएगी।
कुल मिलाकर प्रदेश में आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से पंचायती राज और नगरीय निकाय के चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है उससे प्रदेश में उसके तीसरे विकल्प के रूप में उभरने की संभावनाएं तो बड़े ही गई है। उन लोगों के लिए भी उम्मीदें बन गई हैं जिन्हें भाजपा या कांग्रेस पार्टी टिकट नहीं देगी। वे आप पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने के मंसूबे अभी से पाल रहे हैं जिस तरह से उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा की सरकार नहीं बन पा रही है। उसका असर मध्य प्रदेश पर भी व्यापक रूप से पढ़ रहा है और दोनों ही दल सिमटते पर जा रहे हैं उससे तीसरे दल की संभावनाएं अब ‘आप’ पार्टी में ही तलाशी जा रही है। ‘आप’ पार्टी का संगठनात्मक ढांचा नहीं होने के कारण प्रदेश में निर्दलीयों ने भी इन चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। कटनी में महापौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता है। जाहिर है यदि ‘आप’ पार्टी ने प्रदेश व्यापी संगठन को मजबूत कर लिया और विधानसभा के आम चुनाव में सक्रियता दिखाएं तो फिर भाजपा और कांग्रेस से निराश लोगों के लिए उम्मीद भरी आम आदमी की आमद काम आएगी।
देवदत्त दुबे, भोपाल , मध्यप्रदेश
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