हमारा इतिहास

हमारा इतिहास : वल्लभ भवन की आधारशिला…

वल्लभ भवन की आधारशिला सन 1958 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथों रखी गई क्योंकि नई राजधानी बनाने का काम राज्य बनने के साथ ही शुरू हो गया था इसलिए सचिवालय से के लिए सबसे पहले स्थान तय किया गया।  मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू तब अक्सर पुराने भोपाल को छोड़कर दक्षिण की ओर जंगलों की तरफ आ जाते थे और ऐसे ही एक निर्जन टीले पर वल्लभ भवन बनाने का उन्होंने निर्देश दिया।  उन दिनों इस इलाके का नामकरण लक्ष्मी नारायण गिरी किया गया था पर यह नाम ज्यादा दिन नहीं चला और आज इस इलाके को अरेरा हिल्स कहा जाता है। 

वल्लभ भवन को बनाने में लगभग 7 साल का समय लगा और जब यह बना तो भोपाल की सबसे ऊंची इमारत थी लगभग 100 फीट ऊंची 5 मंजिल वाली इस इमारत में 279140 वर्ग फिट का इलाका आफिसों के लिए  था।  उस समय सरकार में 23 विभाग हुआ करते थे सचिवालय का नाम वल्लभ भवन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के कहने पर रखा गया । वे वल्लभ भाई पटेल से बहुत प्रभावित थे और सन 1947 से 1950 के बीच सी पी एंड बरार के गृहमंत्री के रूप में काम कर चुके थे। हैदराबाद के निजाम का विद्रोह कुचलने के लिए जो पुलिस एक्शन हुआ था वह मिश्र के नेतृत्व में ही हुआ था । राज्य के गृह मंत्री के रूप में और भारत सरकार के बीच संवाद का जरिया पटेल ही हुआ करते थे। आर एस एस  पर महात्मा गांधी हत्याकांड के बाद हुई कार्रवाई में भी मिश्र सरदार पटेल और नेहरू के बीच में मध्यस्थ थे।

कृपया यह भी पढ़ें  https://bharatbhvh.com/bhopal-bank-money-sent-to-karachi/

उस ज़माने में भोपाल का सबसे अंतिम छोर रोशनपुरा चौराहा हुआ करता था।  नवाब ने 1913 में श्यामला हिल्स के निचले हिस्से में चार बंगले और पांच बनवाए थे राजधानी बनने पर यह मंत्रियों के काम आने लगे जब भोपाल नई राजधानी बना तो कर्मचारियों के रहने के लिए नॉर्थ और साउथ टीटी नगर बना उसके बाद तो भोपाल अंक गणित की भांति बढ़ता गया एक नंबर स्टॉप, 2 नंबर  स्टॉप,3 नंबर  स्टॉप , 4 नंबर  स्टॉप , 5  नंबर स्टॉप इत्यादि समय के साथ इनमें से बहुत सारे नंबर खत्म हो गए और रह गए केवल सेकंड स्टॉप ,पांच नंबर, 6 नंबर ,10 नंबर और 11 नंबर। भोपाल राजधानी बना तो बड़े शहरों को भी संतुष्ट करने का प्रयास किया गया जबलपुर को हाईकोर्ट दिया गया, ग्वालियर को रिवेन्यू बोर्ड ,इंदौर को लोक सेवा आयोग। सन 1956 में भोपाल राजधानी तो बन गया जिला बनने के लिए इसे 16 साल से ज्यादा इंतजार करना पड़ा सन 1972 से पहले भोपाल का जिला मुख्यालय सीहोर था भोपाल मात्र एक तहसील थी जिसका मुखिया एसडीएम हुआ करता था। आज जहाँ कलेक्टर कार्यालय लगता है वहीं पर भोपाल के एसडीएम बैठते थे । महात्मा गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर 1972 को मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी के हस्तक्षेप के बाद भोपाल जिला भोपाल के पहले कलेक्टर अरुण कुमार गुप्ता हुए और कलेक्ट्रेट पुराने सचिवालय के सामने स्थित राजा अवध नारायण के बंगले में लगना शुरू हुआ।

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” से साभार ।

लोकतांत्रिक, निष्पक्ष राजनैतिक,सामाजिक समाचारों के लिये कृप्या हमारे चैनल की लिंक पर क्लिक करें और हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

खुरई ने सर्वाधिक प्रकरणों का निराकरण कर जिले में प्राप्त किया प्रथम स्थान

राजस्व महा अभियान 2.0  के तहत सागर जिले की खुरई तहसील ने सर्वाधिक प्रकरणों का…

8 hours ago

सागर – शहर के 25 किलोमीटर की परिधि में बसों का संचालन होगा शुरू

बसों में लगे सीसीटीव्ही कैमरा एवं जीपीएस को आईसीसीसी से जोड़ने एवं आमजन की सुविधा…

8 hours ago

चुनौतीपूर्ण समय में शिक्षकों को अपनी भूमिका का विस्तार करना होगा-कुलगुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता

अध्यापक के धर्म, कर्म और मर्म को भारत ने ही विश्व में स्थापित किया है-…

8 hours ago

तानाशाह की सनक 30 अधिकारियों को फासी पर टांगा

अपनी तानाशाही के लिये पूरी दुनिया में कुख्यात उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग…

15 hours ago

जातिगत जनगणना पर संघ के मन की बात

जातिगत जनगणना का मुददा भारत में इन दिनो लगातार चर्चाओं में है कांग्रेस नेता राहुल…

2 days ago

सत्ता का गुलाम आखिर कौन ?

बहुत दिनों बाद एक ढंग का विषय मिला है । इसके लिए धन्यवाद उत्तरप्रदेश के…

4 days ago