भोपालI पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव होने के बाद दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस का फोकस जिला अध्यक्षों पर बन गया है। ऐसे अध्यक्ष बदले जाएंगे जो इन चुनाव के दौरान कमजोर साबित हुए और वह भी बदले जाएंगे जो 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं।
दरअसल, आम चुनाव के दौरान जिले में प्रत्याशी और उनके समर्थक जहां अपनी-अपनी विधानसभा केंद्रित हो जाते हैं। वहीं जिला अध्यक्ष ही होता है जो सभी सीटों पर समान रूप से नजर रखता है लेकिन यदि जिला अध्यक्ष ही विधानसभा का चुनाव लड़ने लगे तो फिर बाकी सीटों पर को नजर रखेगा। यही कारण है कि दोनों ही दल अब ऐसे अध्यक्षों की तलाश में है जो 2023 विधानसभा चुनाव में जिले में पार्टी की कमान पूरी ताकत से संभाले अभी कहीं-कहीं विधायक ही जिलाध्यक्ष बने हुए हैं और कहीं जिला अध्यक्ष विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इन दोनों ही स्थितियों से निपटने के लिए बहुत जल्दी फैसले लिए जाने वाले हैं।
बहरहाल, सत्तारूढ़ दल भाजपा ने जिस तरह से इन चुनाव की समीक्षा की है। उसमें लगभग आधा दर्जन जिला अध्यक्ष बदले जाना है और आधा दर्जन ऐसे जिलाध्यक्ष ही बदले जाएंगे जो भविष्य में विधानसभा का चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं भाजपा ने कमजोर जिला अध्यक्षों को हटाने का मन बना दिया है। छिंदवाड़ा जिला अध्यक्ष को तो खुले तौर पर चेतावनी का सामना करना पड़ा। यहां तक कुछ जिलाध्यक्ष से कहा गया कि वे पार्टी का काम तो छोड़ो प्रदेश कार्यालय द्वारा मांगी गई। जानकारी भी समय पर उपलब्ध नहीं कराते हैं और यदि ऐसे जिला अध्यक्षों ने अपने कार्य में सुधार नहीं लाया तो उन्हें हटाया जाएगा। कुछ जिलाध्यक्ष स्वयं ही रहते हैं जबकि पार्टी जिलाध्यक्ष का काम है सबको काम में लगाकर रखें सभी की सक्रियता और समन्वय बनाए रखें।
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने भी जिला अध्यक्षों पूरी तरह से चुनावी मोड में काम करने के लिए कहां गया है। सभी 68 संगठनात्मक जिलों में सक्रिय अध्यक्ष अब मैदान में रहेंगे जो विधायक जिला अध्यक्ष है उन्हें हटाया जाएगा। जैसे उदयपुरा के विधायक देवेंद्र पटेल, रायसेन जिला अध्यक्ष, मुरैना विधायक राकेश मवई, मुरैना ग्रामीण के अध्यक्ष हैं। पुष्पराजगढ़ के विधायक फुनदेलाल मार्को अनूपपुर के जिला अध्यक्ष है। सैलाना के विधायक हर्ष गहलोत, रतलाम ग्रामीण के जिलाध्यक्ष भीकनगांव की विधायक झूमा सोलंकी खरगोन की जिला अध्यक्ष है। इन सभी जिला अध्यक्षों को हटाया जाएगा क्योंकि यह जिलाध्यक्ष के साथ-साथ अपने विधानसभा क्षेत्र में समय नहीं दे पाते। इस कारण इनको जिला अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाएगा और क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए कहा जाएगा। इसी तरह कुछ ऐसे जिलाध्यक्ष भी हैं जिन्हें चुनाव लड़ना है। मसलन, विदिशा जिला अध्यक्ष निशंक जैन को गंज बासौदा से चुनाव लड़ना है। इस कारण उन्हें जिला अध्यक्ष पद से हटाया जाएगा। इसी तरह रीवा ग्रामीण के अध्यक्ष श्री नारायण शुक्ला सिमरिया से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं इसलिए इन्हें भी हटाया जाएगा। कांग्रेस में एक दर्जन से ज्यादा जिला अध्यक्षों को हटाने की तैयारी हो गई है और नई जिला अध्यक्षों के लिए बैनर भी बन गई है। कुछ ऐसे भी जिलाध्यक्ष है जो लंबे अरसे से अध्यक्ष तो हैं लेकिन जिले में संगठन कमजोर होता जा रहा है ऐसे अध्यक्ष को भी बदला जाएगा।
कुल मिलाकर दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में संगठन स्तर पर मजबूती के लिए कवायद तेज हो गई है और इसके लिए चुनावी मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति पर अध्यक्ष को बदलने की रणनीति बनाई गई है। जिससे कि जिले में चुनाव के दौरान संगठन पूरी शिद्दत के साथ काम कर सके।
देवदत्त दुबे ,भोपाल- मध्यप्रदेश
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