दुनिया

यूरोप में फिर फासीवाद?

100 साल पहले इटली में फासीवाद का उदय हुआ था। इटली के बेनिटो मुसोलिनी के बाद जर्मनी में एडोल्फ हिटलर ने नाजीवाद को पनपाया। इन उग्र राष्ट्रवादी नेताओं के कारण द्वितीय महायुद्ध हुआ। पिछले 77 साल में यूरोप के किसी भी देश में ये उग्रवादी तब पनप नहीं सके लेकिन अब इटली, जर्मनी, फ्रांस और स्वीडन जैसे देशों में दक्षिणपंथी राजनीति तूल पकड़ती जा रही है।

इन पार्टियों के नेता मुसोलिनी और हिटलर की तरह हिंसक और आक्रामक तो नहीं हैं लेकिन इनका उग्रवाद इनके देशों के लिए चिंता का विषय तो बन ही रहा है। ये लोग तख्ता-पलट के जरिए सत्तारुढ़ नहीं हो रहे हैं। लोकप्रिय वोटों से चुने जाकर ये लोग सत्ता के निकट पहुंचते जा रहे हैं। इटली में ‘बदर्स आॅफ इटली’ की नेता श्रीमती जिर्योजिया मेलोनी के प्रधानमंत्री बनने की पूरी संभावना है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी और मत्तेओ साल्विनी की पार्टियों के साथ मिलकर कल चुनाव लड़ा था। मेलानी (45) अभी युवा हैं, बर्लुस्कोनी (85) के मुकाबले और जब वे छात्रा थीं तो ‘इटालियन सोश्यल मूवमेंट’ में काफी सक्रिय रही हैं। यह संगठन मुसोलिनी के समर्थकों ने खड़ा किया था। बाद में मेलोनी सांसद और मंत्री भी बनीं। वे आजकल दावा करती हैं कि वे फांसीवादी बिल्कुल नहीं हैं लेकिन किसी जमाने में वे मुसोलिनी की काफी तारीफ किया करती थीं।

मारिया द्राघी की पिछले सरकार में कई पार्टियां गठबंधन में शामिल हुई थीं लेकिन मेलोनी की अकेली बड़ी पार्टी थी, जो विपक्ष में बैठी रही थी। इसीलिए अब ‘ब्रदर्स आॅफ इटली’ पार्टी को इटली की जनता काफी महत्व दे रही है। उम्मीद यही की जा रही है कि कल संपन्न हुए आम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें इसी पार्टी को मिलेंगी। मेलोनी यदि प्रधानमंत्री बन गईं तो वे सिर्फ गरीबों का ही नहीं, सबका टैक्स घटाएंगी, इटली की जनसंख्या को प्रोत्साहित करेंगी, प्रवासियों को आने से रोकेंगी और इटली के मामलों में यूरोपीय संघ की दखलंदाजी को नियंत्रित करेंगी।

वे इस्लामी तत्वों के साथ सख्ती बरतने पर भी आमादा हैं। वे गर्भपात-विरोधी हैं। वे स्त्री-अधिकार और अन्य कई सामाजिक प्रश्नों पर कट्टर पोंगापंथी रवैया अपनाए हुए हैं। यूक्रेन के मामले में वे रूस का भी डटकर विरोधी कर रही हैं। पता नहीं, उनकी गठबंधन सरकार कितने दिन चलेगी, क्योंकि उनके सहयोगी नेताओं का रूख इन समस्याओं पर ज़रा नरम है। वे यूक्रेन से ज्यादा रूस के प्रति सहानुभूतिपूर्ण हैं। मेलोनी ने इधर मुसोलिनी की आलोचना भी शुरु कर दी है। ऐसी आशंका कम ही है कि इटली समेत यूरोप के अन्य देशों में अब फासीवाद या नाजीवाद का उदय दुबारा हो सकता है।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

13 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

5 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago