विशेष - बात

इतिहास होती आम आदमी के सपनों की कार

समय बड़ा ही क्रूर होता है । किसी को नहीं छोड़ता । आम आदमी के सपनों को भी नहीं।हर किसी के दिल में कुछ अरमान और कुछ सपने होते हैं जिसे अक्सर रात में हम अपने ख़्वाबों में देखते हैं. कभी पूरा होते हुए देखकर खुश होते हैं तो कभी टूटता हुआ देखकर दुखी होते हैं. कभी-कभी लोग खुली आँखों से दिन में भी सपने देखते हैं. हम उन चीजों के बारे में अधिक्तर सपना देखते हैं जिसको हम दिलों जान से पाना चाहते हैं. भारत में मारुती – 800 एक ऐसी ही कार का नाम था ,जो देश के आम आदमी के सपनों की कार का दूसरा नाम था।पहले ये कार इतिहास का हिस्सा बनी और अब इस कार के नए अवतार मारुती आल्टो -800 को भी इतिहास के साथ बाबस्ता किया जा रहा है । देश में अब इस सबसे लोकप्रिय कार का उत्पादन बंद किया जा रहा है। देश में मारुती सुजकी की इस कार ने 1983 से अब तक असंख्य भारतीयों के दिलों पर राज किया। मुझे याद है जब देश में मारुती ने सबसे सस्ती कार का निर्माण शुरू किया गया था । बात शायद 1983 की है। एक छोटे परिवार कि लिए डिजाइन की गयी मारुती सुजकी की ये कार देश कि आम आदमी का सपना बन गयी थी। देखते ही देखते इस कार को हासिल करने कि लिए ऐसी होड़ लगी कि कार की प्रतीक्षा सूची लगातार लम्बी हो गयी। लोग केवल बुकिंग कर ही हजारों रूपये कमाने लगे। कार बलैक में बिकने लग। नेताओं और अफसरों की सिफारिशें इस कार को पाने कि लिए महत्वपूर्ण हो गयीं। 1983 से 2014 तक देश में 2 .87 मिलियन छोटी कारण बनीं और 2. 66 मिलियन हाथों हाथ बिक गयीं ,मै खुद इस कार को 2005 में खरीदने का साहस कर सक। मेरे पास ये कार आज भी है।
                                                   मारुती – 800 की लोकप्रियता का ये आलम था कि भारत कि अलावा दक्षिण एशिया कि तमाम देशों कि साथ ही योरोप में भी इसकी मांग बनी रही। मारुती 800 जब बाजार में आयी तब श्रीमती इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी । माना जाता है कि उनके बेटे संजय गांधी ने इस छोटी कार की कल्पना की थी और मारुती सुजकी ने इसे साकार किया था । लकी ड्रॉ कि माध्यम से इस कार कि पहली चाबी हरपाल सिंह नाम कि भाग्यवान को मिली थी। खुद इंदिरा गांधी ने इस चाबी को सौंपा था। उस समय मारुती की प्रतीक्षा सूची तीन साल की थी । शुरू में मारुती कि पुर्जे जापान से मंगाए गए और उन्हें भारत में संयोजित किया गया,बाद में इसका निर्माण पूरी तरह भारत में होने लगा। मारुती 800 इकलौती ऐसी कार थी जिसे भारत कि बाहर यूरोप में भी खूब पसंद किया गय। 1987 तक इस कार में सीट बेल्ट नहीं होते थे किन्तु जब यूरोप में इस कार की मांग आयी तो इसमें सीट बेल्ट लगाए गए। योरोप की मांग कि अनुरूप इस कार में बायीं और स्टेयरिंग भी लगाया गया। समय की मांग के अनुसार कार में पर्यावरण को देखते हुए लगातार सुधार होता रहा। भारत के कार बाजार पर एक छत्र राज करने वाली मारुती 800 कार 18 जनवरी 2014 को इतिहास बन गयी । कम्पनी ने इसका उत्पादन हमेशा के लिए बंद कर दिया। मारुती 800 बाद में मारुती आल्टो 800के रूप में प्रकट हुई।
                                             देश के नए मोटर व्हीकल कानों के हिसाब से अपना रूप बदलती इस कार ने लगातार अपनी मांग को बरकरार रख। इसमें लगातार कुछ न कुछ नया जुड़ता रह। पेट्रोल के अलावा ये कार सीएनजी से भी चलने लायक बनाई गयी। मारुती के एक छत्र राज को तोड़ने के लिए टाटा नैनो लेकर आये,नैनो चली भी लेकिन मारुती ने अपना रूप -रंग बदलकर नैनो को पीछे छोड़ दिया एक हजार किलो ग्राम वजन की इस कार ने भारतीय सड़कों पर ऐसी धूम मचाई की सब देखते रह गए। इस कार की अधिकतम गति 140 किमी प्रति घंटा आंकी गयी थी , अब खबर है की मारुती ने मारुती आल्टो का उत्पादन भी हमेशा के लिए बंद कर दिया ह। अब बाजार में वे ही आल्टो बिकेंगीं जो बनाई जा चुकी हैं। गाडिय़ों में रियल ड्राइविंग इमिशिन अपडेट के चलते वाहन निर्माता कंपनियों को अपने वाहनों में अपडेट करना होगा, जिसका सीधा असर इनकी कीमत पर पड़ेगा। यही वजह है कि कंपनी ने इस गाड़ी की प्रोडक्शन बंद कर दी है, क्योंकि अगर इसे भी अपडेट किया जाता, तो मारुती की सबसे सस्ती कार काफी महंगी हो जाती। इसी वजह से कंपनी ने मारुती आल्टो 800 को बंद कर दिया है। इस गाड़ी ने लगभग 23 साल तक जनता के दिलों पर राज किया है। गाड़ी की कीमत 3.53 लाख से लेकर 5.13 लाख रुपए के बीच है। मारुती 800 अब एक धरोहर है । मैंने भी मारुती की वैगनार कार ले ली है किन्तु मारुती 800 से मुझे आज भी उतना ही प्यार है जितना किसी को अपनी पहली संतान से होता है । मेरी मारुती 800 को घर में लाली के नाम से पुकारा जाता ह। इसमें ऐसी नहीं है। दूसरी तमाम सुविधाएं भी नहीं हैं किन्तु एक याराना है जो बदले हुए मोटर व्हीकल एक्ट के बावजूद ज्यादा पैसा देकर भी इसे सड़क पर चलने लायक बनाये हुए है। सरकार इस आम आदमी के सपनों की कार को कबाड़ में बदलने का अभियान चलाये हुए है ,लेकिन इससे प्यार करने वाले लोग इसे छोड़ नहीं रहे। आज पुरानी मारुती 800 कार बाजार में 20 से 40 हजार में मिल जाती है। ये कार भारतीयों के सपनों में हमेशा बनी रहेगी क्योंकि इस कार ने देश के हर हिस्से में रहने वालों की जरूरतों को मुस्तैदी के साथ पूरा किया है। भगवान जाने अब इस कार जैसी कोई कार बनेगी भी या नहीं ?

व्यक्तिगत विचार आलेख

श्री राकेश अचल जी  ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  ।

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नहीं ?

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा…

9 hours ago

राहुल तुम केवल गुंडे हो नेता नहीं

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पहचानने में भाजपा भूल कर गई ।…

3 days ago

मानव अधिकार उल्लंघन के ”11 मामलों में” संज्ञान

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवसों के विभिन्न…

4 days ago

कभी टोले से डरती है ,कभी झोले से डरती है

आजकल जैसे संसद में मुद्दों पर काम नहीं हो रहा उसी तरह मुझे भी लिखने…

6 days ago

सीएमसीएलडीपी के छात्रों ने सागर नगर की प्रतिष्ठित संस्था सीताराम रसोई का भ्रमण किया

सागर /मप्र जन अभियान परिषद् सागर विकासखंड द्वारा संचालित मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के…

1 week ago

धमकियों से तो नहीं चल सकती संसद

संसद का शीत सत्र धमकियों से ठिठुरता नजर आ रहा है। इस सात्र के पास…

1 week ago