व्यंग्य : दान की जमीन और दुनिया की जलन

तो गुरू , मानो कलयुग को भी समझ में नहीं आ रिया है कि उसके साथ हो क्या रिया है कभी  बम- बारूद की बात सुनते हैं तो लगता है कि भरोषा नहीं दुनिया 2025 का न्यू ईयर मना पायेगी या नहीं , तो कभी लगता है मियां जकरबर्ग की … Continue reading व्यंग्य : दान की जमीन और दुनिया की जलन